Lyrics
तेरा ग़म अगर ना होता...
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
ये सितम अगर ना होता...
ये सितम अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
हरजाई मैं नहीं हूँ, ना वो है बेवफ़ा
हरजाई मैं नहीं हूँ, ना वो है बेवफ़ा
बस वक़्त ने किया है मुझ से ज़रा दग़ा
चाहा था मैंने उस को ये है मेरी ख़ता
ये करम अगर ना होता...
ये करम अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
सारे जहाँ से मेरा इतना सवाल है
सारे जहाँ से मेरा इतना सवाल है
चाहत का क्यूँ हमेशा ऐसा ही हाल है?
कभी याद वो करेगी, मेरा ख़याल है
ये भरम अगर ना होता...
ये भरम अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
ये सितम अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तेरा ग़म अगर ना होता तो शराब मैं ना पीता
तो शराब मैं ना पीता, तो शराब मैं ना पीता
Written by: Laxmikant-Pyarelal, Rani Mallik