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ओ-हो, हो-हो-हो, ओ-हो-हो
ओ, ओ-हो, हो-हो-हो
ओ-हो, ओ-हो, ओ-हो
ओ-हो, ओ-हो, ओ-हो, ओ-हो, ओ-हो, ओ-हो
मुझको देखोगे जहाँ तक, मुझको पाओगे वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक, इस ज़मीं से आसमाँ तक
मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
मुझको देखोगे जहाँ तक, मुझको पाओगे वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक, इस ज़मीं से आसमाँ तक
हो, मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
तेरी मोहब्बत ने रखा है मेरे सर पर ताज
तेरी मोहब्बत ने रखा है मेरे सर पर ताज
इस धरती पर तेरा-मेरा मिलन हुआ है आज
मिल गया सब कुछ मुझे, लब पर दुआ कोई नहीं
हो, मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
मुझको देखोगे जहाँ तक, मुझको पाओगे वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक, इस ज़मीं से आसमाँ तक
मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
तू जो चला है डाल के मेरे हाथ में अपना हाथ
तू जो चला है डाल के मेरे हाथ में अपना हाथ
सारी फ़ज़ायें, चारों दिशायें अब हैं मेरे साथ
मुझ तलक आए ना जो वो रास्ता कोई नहीं
हो, मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
मुझको देखोगे जहाँ तक, मुझको पाओगे वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक, इस ज़मीं से आसमाँ तक
मैं ही मैं हूँ, हो, मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं
Written by: Amir Qazalbash, Ravindra Jain
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